Saturday, March 6, 2010

ये मेरी कहानी ,,,,,,,,


मैं न जानू की कौन हूँ मैं,
लोग कहते है सबसे जुदा हूँ मैं,

मैने तो प्यार सबसे किया,

पर न जाने कितनो ने धोखा दिया।


चलते चलते कितने ही अच्छे मिले,

जिनने बहुत प्यार दिया,

पर कुछ लोग समझ ना सके,
फिर भी मैने सबसे प्यार किया।

दोस्तो के खुशी से ही खुशी है,

तेरे गम से हम दुखी है,
तुम हंसो तो खुश हो जाऊंगा,

तेरे आँखो मे आँसु हो तो मनाऊंगा।

मेरे सपने बहुत बढे़ है,

पर अकेले है हम, अकेले है,

फिर भी चलता रहऊंगा,

मजिंल को पाकर रहऊंगा।


ये दुनिया बदल जाये पर कितनी भी,

पर मै न बदलऊंगा,
जो बदल गये वो दोस्त थे मेरे,
पर कोई ना पास है मेरे।


प्यार होता तो क्या बात होती,

कोई तो होगी कहीं न कहीं,

शायद तुम से अच्छी या,

कोई नहीं नही इस दुनिया मे तुम्हारे जैसी।


आसमान को देखा है मैने,
मुझे जाना वहाँ है,

जमीन पर चलना नही,
मुझे जाना वहाँ है,


पता है गिरकर टुट जाऊंगा,
फिर उठने का विश्वास है

मै अलग बनकर दिखालाऊंगा।


पता नही ये रास्ते ले जाये कहाँ,

न जाने खत्म हो जाये,
किस पल कहाँ,

फिर भी तुम सब के दिलो मे जिंदा रहऊंगा,


यादो मे सब की, याद आता
रहूँगा ..
राही
मे हूँ बस चलता ही रहूँगा

Saturday, February 27, 2010




राही के सभी पाठकों को होली की शुभकामनाएँ

Sunday, September 13, 2009

तड़पते दिल की पुकार

श्री कुमार विश्वास

तुम अगर नहीं आयीं...गीत गा ना पाऊँगा,
साँस साथ छोडेगी सुर सजा ना पाऊँगा,
तान भावना की है शब्द शब्द दर्पण है,
बाँसुरी चली आओ होट का निमन्त्रण है,


तुम बिना हथेली की हर लकीर प्यासी है,
तीर पार कान्हा से दूर राधिका सी है,
दूरियाँ समझती हैं दर्द कैसे सहना है,
आँख लाख चाहे पर होठ को ना कहना है,
ओषिधि चली आओ चोट का निमन्त्रण है,
बाँसुरी चली आओ होठ का निमन्त्रण है,

तुम अलग हुयीं मुझसे साँस की खताओं से,
भूख की दलीलों से वक़्त की सजाओं ने,
रात की उदासी को आँसुओं ने झेला है,
कुछ गलत ना कर बैठे मन बहुत अकेला है ,
कंचनी कसौटी को खोट ना निमन्त्रण है,
बाँसुरी चली आओ होठ का निमन्त्रण है!

Thursday, August 27, 2009

दर्द ऐ जुदाई

तुम्हारे पास हूँ लेकिन जो दूरी है समझता हूँ
तुम्हारे बिन मेरी हस्ती अधूरी है समझता हूँ
तुम्हे मै भूल जाऊँगा ये मुमकिन है नही लेकिन
तुम्ही को भूलना सबसे जरुरी है समझता हूँ

Tuesday, August 25, 2009

एक खोज अधूरी


मै तुम्हे ढूंढने स्वर्ग के द्वार तक गया

रोज़ जाता रहा , रोज़ आता रहा

तुम गज़ल बन गई, गीत में ढल गई

मंच से मै तुम्हे गुनगुनाता रहा


ज़िन्दगी के सभी रास्ते एक थे

सबकी मंज़िल तुम्हारे चयन तक रही

अप्रकाशित रहे पीर के उपनिषद्

मन की गोपन कथाएँ नयन तक रहीं

प्राण के प्रश्न पर प्रीति की अल्पना

तुम मिटाती रहीं मै बनाता रहा

तुम गज़ल बन गई, गीत में ढल गई

मंच से मै तुम्हे गुनगुनाता रहा


एक खामोश हलचल बनी ज़िन्दगी

गहरा ठहरा हुआ जल बनी ज़िन्दगी

तुम बिना जैसे महलों मे बीता हुआ

उर्मिला का कोई पल बनी ज़िन्दगी

दृष्टि आकाश मे आस का एक दिया

तुम बुझाती रही, मै जलाता रहा

तुम गज़ल बन गई, गीत में ढल गई

मंच से मै तुम्हे गुनगुनाता रहा


तुम चली तो गई मन अकेला हुआ

सारी यादों का पुरजोर मेला हुआ

जब भी लौटी नई खुशबूऒं मे सजी

मन भी बेला हुआ तन भी बेला हुआ

खुद के आघात पर व्यर्थ की बात पर

रूठती तुम रही मै मनाता रहा

तुम गज़ल बन गई, गीत में ढल गई

मंच से मै तुम्हे गुनगुनाता रहा


मै तुम्हे ढूंढने स्वर्ग के द्वार तक गया

रोज़ जाता रहा , रोज़ आता रहा

Friday, August 14, 2009

अधुरा प्यार


जींदगी मे अक्सर यह अहसास हो जाता है चाहते हुए भी किसी से प्यार हो जाता है फीर हर लम्हा खुबसूरत और हर पल खुशगवार हो जाता है

दील तो पागल है प्यार की हर याद को संजो कर रखता है पर वक्त की आंधी और ि कस्मत तूफ़ान साहिल से पहले सबकुछ बहा ले जाता है और किसी अध्खीले फूल की तरह



पहला प्यार अक्सर अधुरा रह जाता है

-राही

Thursday, August 13, 2009

कोई दीवाना कहता है


कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है !
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है !!
मैं तुझसे दूर कैसा हूँ , तू मुझसे दूर कैसी है !
ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है !!

मोहब्बत एक एहसासों की पावन सी कहानी है !
कभी कबीरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है !!
यहाँ सब लोग कहते हैं, मेरी आंखों में आँसू हैं !
जो तू समझे तो मोती है, जो ना समझे तो पानी है !!

समंदर पीर का अन्दर है, लेकिन रो नही सकता !
यह आँसू प्यार का मोती है, इसको खो नही सकता !!
मेरी चाहत को दुल्हन तू बना लेना, मगर सुन ले !
जो मेरा हो नही पाया, वो तेरा हो नही सकता !!

भ्रमर कोई कुमुदुनी पर मचल बैठा तो हंगामा!
हमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामा!!
अभी तक डूब कर सुनते थे सब किस्सा मोहब्बत का!
मैं किस्से को हकीक़त में बदल बैठा तो हंगामा!!